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Face Warts

मस्से

मस्सा वायरस से प्रेरित स्किन ग्रोथ का प्रकार हैं। त्वचा पर पेपीलोमा वायरस के कारण छोटे खुरदरे कठोर गोल पिण्ड बन जाते हैं जिसे मस्सा कहते हैं। ये मस्से कई प्रकार के होते हैं। कुछ मस्से ऐसे होते हैं जो उत्पन्न होकर अपने आप एकाएक समाप्त हो जाते हैं। जब कोई रोगी मस्से को काट या फोड़ देता है तो उस मस्से का वायरस शरीर के अन्य स्थानों पर जाकर वहां भी मस्से बना देते हैं। कभी-कभी मस्से का वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति की त्वचा पर आकर उसकी त्वचा पर भी मस्से बना देते हैं।

मस्से के प्रकार
मस्से कई प्रकार के होते है, जिनमे से कुछ सामन्य प्रकार है :
सामान्‍य मस्‍सा, प्‍लांटार वार्ट्स,फ्लैट वार्ट्स, फिलिफ्रोम वार्ट्स, पेरींगुअल वार्ट्स, जननांग मस्‍सा

मस्सॊ का मुख्य कारण मानव (ह्यूमन) पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) होता है।

मस्सों के लक्षण :-
मस्सो के वैसे तो कई लक्षण देखे गए है, जिनमे से कुछ खास लक्षण है :
मांसपेशियों की वृद्धि से छोटा बम्प्स
हाथ-पैरों पर सफेद व गुलाबी रंग के मस्से हो जाते हैं जो कठोर व खुरदरे होते हैं।
मस्से छूने पर खुरदुरे लगते हैं।
कभी-कभी मस्से समूहों में उत्पन्न होते हैं जो अधिकतर भी गर्दन, चेहरे एवं छाती पर होते हैं।
कुछ लोगों के अंगुलियों व पैरों के नाखूनों के किनारों पर भी मस्से उभरे आते हैं।

मस्सों के लिए होम्योपैथिक उपचार

होमियोपैथी में मस्सों का कुशल उपचार संभव है तो चलिए जानते है मस्सों के लिए कुछ होम्योपैथिक दवाएं :

Causticum 200ch 2 2 बुँदे सवेरे
Acidum Nitricum 200, 2 बुँदे शाम को
Berberis Aquifolium Q, 10 बुँदे दिन में तीन बार , (10 बुँदे सवेरे , 10 बुँदे दिन में, 10 बुँदे शाम को )

इन दवाओं के उपयोग के साथ साथ, कुछ बाते ध्यान में रखे जैसे :
हाथ को नियमित रूप से धोते रहे , मस्से को ब्लेड या किसी भी चीज़ से छेड़े या कटे नहीं ।