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मिर्गी का होम्योपैथिक उपचार

17 नवंबर को नेशनल एपिलेप्सी डे मनाया जाता है। लोगों को लगता है कि मिर्गी सिर्फ एक ही तरह की होती है। लेकिन आपको बता दें कि मिर्गी को एक नहीं बल्कि मोटे तौर पर चार तरह से बांटा जा सकता है। मिर्गी एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें मरीज के दिमाग में असामान्य तरंगें पैदा होने लगती हैं। मस्तिष्क में गड़बड़ी होने के कारण व्यक्ति को बार-बार दौरे पड़ने लगते हैं। जिसकी वजह से व्यक्ति का दिमागी संतुलन पूरी तरह से गड़बड़ा जाता है और उसका शरीर लड़खड़ाने लगता है। आज हम आपको बतायेंगे होम्योपैथिक विधि से आप मिर्गी जैसी गंभीर बीमारी पर कैसे काबू पा सकते है। आइये सबसे पहले जानते है इसके लक्षण-

मिर्गी के लक्षण-

आंखों की पुतलियों का ऊपर की तरफ खिंचना
हाथ या पैर का लगातार चलना
झटके से लगना
होंठ या जीभ काट लेना
आंखों के आगे अंधेरा छा जाना
शरीर का अकड़ जाना
मुंह से झाग आना
अचानक गिर जाना
बेहोश हो जाना

ऐसे करें मिर्गी से बचाव-

साइकिल चलाते समय हेलमेट पहनकर रखें।
पर्याप्त नींद लेना
अल्कोहल या नशीली दवाओं का सेवन न करें
तेज चमकती रोशनी से बचें।
तनाव से दूर रहें।
टीवी या कंप्यूटर पर देर तक न बैठे

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप भी मिर्गी की समस्या से परेशान है तो आप डाॅक्टर से जानकारी ले सकते है। आप होम्योपैथिक विधि से अपना उपचार कर मिर्गी की समस्या से निजात पा सकते है। अगर आपको होम्योपैथिक उपचार में कोई समस्या आये तो आप साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के डाॅक्टर एनसी पाण्डेय सेे संपर्क कर पूरी जानकारी ले सकते है।