तोंद का बाहर निकल आना

पेट पर चर्बी बढऩा या तोंद निकल आना एक ऐसी समस्या है जो जिंदगी को ख़तरे में भी डाल सकता है। ये कोई ऐसी चीज़ नहीं है जो दिखने में खऱाब मालूम होती हो, बल्कि आपकी सेहत पर ये ख़तरे का संकेत है। इसके अलावा ये हमारे अंदरूनी अंगों, लीवर, पैंक्रियाज़ और आंतों के इर्द-गिर्द भी इक_ा होती है। आजकल ज्यादातर लोग बढ़े हुए पेट के कारण परेशान दिखाई देते हैं। पेट को कम करने के लिए लोग कई तरह के उपाय करते हैं। लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी पेट का फैट कम ही नहीं होता है। आइये जानते है इसके कारण और लक्षण-

आइये जानते है इसके कारण-

एंजियोटेंसिन कन्वर्टिंग एन्जाइम
हार्मोनल बदलाव
खराब ब्लड सर्कुलेशन
आलस्य और थकान
जीन
नींद की समस्या
ब्रेकफास्ट ना करना

आइये जानते है इसके लक्षण-

पेट के बाहर निकलने या बढऩे यानी स्टमकफ्लू की बीमारी के लक्षण काफी कौमन हैं और इसी कारण से हम उन्हें नजऱअंदाज़ भी कर देते हैं। तोंद बाहर निकलने के ये लक्षण है-
भूख में कमी।
पेटदर्द।
जी मिचलाना।
उलटी आना।
त्वचा में हलकी जलन।
मांसपेशियों में तकलीफ।
वजन में कमी।

उपचार-
अगर आपकी भी तोंद बढ़ हुई है तो आप होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर डॉक्टर की सलाह पर अपना होम्योपैथिक उपचार कराये इससे आपको राहत मिलेगी।

मुंह में अल्सर की समस्या

खाते समय मुंह में जलन सी महसूस होती है और आपसे खाया भी नहीं जाता। यह माउथ अल्सर हो सकता है। माउथ अल्सर यानी मुंह के छाले को कंकर सोर्स के नाम से भी जाना जाता है। अपने यहां यह एक आम समस्या है, जिसकी पहचान या लक्षणों को आसानी से जाना जा सकता है। यदि आप के होठों, मसूढ़े और मुंह के किसी अन्य हिस्सों में कोई सफेद घाव दिखे या कभी-कभी मुंह से खून आ जाए तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। यह माउथ अल्सर के लक्षण हो सकते हैं।

आइये जानते है इसके लक्षण-

खाते और पीते समय असहनीय दर्द होना।
अक्सर थकावट ।
स्वाभाव में चिडचिड़ापन।
घाव में लालपन।

जानिये इसके कारण-

ज्यादा तला और मसालेदार खाने से।
खाने में एसिड की मात्रा ज्यादा हो।
े दांतों की सही तरीके से साफ न करना।
गाल भीतर से बार.-बार कटने से ।
किसी प्रकार के खाने से एलर्जी है।
शरीर में विटामिन बी और आयरन की सामान्य मात्रा।

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप माउथ अल्सर से परेशान है तो आप होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर डॉक्टर की सलाह पर अपना उपचार कर सकते है।

पेट में अल्सर की समस्या

छोटी आंत के प्रारंभिक स्थान पर होने वाले छाले या घाव को ही अल्सर करते हैं। अल्सर होने पर अक्सर पेट में दर्द की शिकायत रहती है ऐसे में कई बार असहनीय दर्द होता है। यदि अल्सर फूट जाए तो यह बहुत घातक साबित हो सकता है। पेट का अल्सर बहुत ही दर्दनाक बीमारी है जिसमें पेट में छाले या घाव जैसा हो जाता है। वैसे तो यह बहुत खतरनाक नहीं है और समय रहते इलाज कराने पर ठीक हो जाता है। आइये जानते है इसके कारण और लक्षण। कैसे में होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है।

पेट में अल्सर के कारण

सही समय पर खाना नहीं खाना।
अधिक तेल मसाले वाला खाना।
रोजऩा खाने, जंक फूड के सेवन।
पेट में एसिड का बढऩा।
चाय, कॉफी, सिगरेट व शराब का अधिक सेवन।
ज्यादा खट्टी, मसालेदार चीज़ें खाने से

आइये जानते है इसके लक्षण-

पेट के ऊपरी हिस्से दर्द होना।
खून की उल्टी होना।
वजन कम होना।
पेट में एसिड बनना।

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप पेट के अल्सर से परेशान है तो आप होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर डॉक्टर की सलाह पर अपना उपचार कर सकते है।

नार्मल डिलीवरी के होम्योपैथिक दवा

डिलिवरी की डेट जैसे-जैसे नजदीक आने लगती है तो दिन काटना मुश्किल हो जाता है। ऐसा लगता है कि बस अब किसी तरह बच्चा जल्द से जल्द बाहर आ जाए। यह समय एक तरफ जहां बच्चे को देखने की खुशियों से भरा होता है, वहीं दूसरी तरफ आपके मन में लेबर पेन का डर भी होता है। इस दौरान प्रेग्नेंट महिला के साथ-साथ उसके घरवाले भी अलर्ट मोड में रहते हैं। पेट में दर्द हुआ नहीं कि किसी भी तरह का रिस्क लेने की बजाए तुरंत डॉक्टर के पास पहुंच जाते हैं। इनमें से ज्यादातर मौकों पर तो यह दर्द लेबर पेन से जुड़ा होता है ।

आइये जानते है लेबर पेन के लक्षण-

महिलाओं के शरीर करीब एक महीने पहले से रियल लेबर की तैयारियां करने लगता है। इस दौरान सर्विक्स यानी गर्भाशय का मुंह खुलना शुरू हो जाता है, बच्चा पेल्विसस की तरफ नीचे की ओर बढऩे लगता है, पेल्विस और रेक्टम पर प्रेशर बढऩे लगता है। एक अजीब सा सेंसेशन फीले होने लगता है, कॉन्ट्रैक्शन्स की मात्रा बढऩे लगती है। इस तरह के लक्षण शरीर में नियमित रूप से दिखने लगते हैं जिससे शरीर रियल लेबर को लेकर प्रिपेयर होने लगता है।

होम्योपैथिक विधि

अगर आप भी लेबर पेन से जुड़ी परेशानी को दूर करना चाहते है तो आप होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर डॉक्टर की सलाह पर अपना उपचार करा सकत है।

कान में सीटी जैसी बजना

कई लोगों में शांत वातावरण में बैठे होने और किसी तरह का बाहरी शोर नहीं होने पर भी कानों में आवाज गूंजने की समस्या से परेशान रहते है। कानों में सीटी बजने जैसी आवाज आना एक बीमारी है। टिनिटस के सामान्य कारणों में कान में मैल हो जाना, कान में पस पडऩा, गंभीर चोट या संक्रमण के कारण कान के पर्दे में छेद होना या फिर लगातार तेज आवाज सुनने के कारण कान में क्षति हुई हो। जिससे कानों में सीटी जैसी आवाज आती है। आज हम आपको बतायें कैसे आप इस समस्या के छुटकारा पा सकते है।

कानों में सीटी जैसी आवाज के आने के कई लक्षण है। जैसे कानों में सि‍सकारी, दहाड़ जैसी आवाजें, कानों का बजना एवं आवाज का कानों में गूंजते रहना, टिनिटस के प्रमुख लक्षणों में शामिल है। यह आवाजें कम या ज्यादा तीव्रता लिए होती हैं। आवाज का गूंजना एक या दोनों कानों में भी हो सकता है। इसके अलावा यह समस्या कुछ दिनों तक या लंबे समय तक रह सकती है।

होम्योपैथिक उपचार-

अगर आप कान की सीटी से पीडि़त है तो आप होम्योपैथिक विधि से अपना उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर डॉक्टर की सलाह पर अपना उपचार करें। इससे आपको बुखार से तुंरत छुटकारा मिल जायेगा।

बदन दर्द का होम्योपैथिक उपचार

क्या आपकों बदन दर्द की शिकायत रहती ह। अक्सर ऑफिस में शाम होते-होते आप बहुत ही थका हुआ महसूस करने लगते हैं। इसके पीछे के कारण दिन भर की थकान मानी जाती है और लोग बदन दर्द की टेबलेट कही जाने वाली कोई दवा लेकर इसे अनदेखा कर देते है। थोड़े-थोड़े दिनों में बुखार और बदन दर्द की दवा लेते हैं या शरीर दर्द की दवा आपके बैग में हमेशा रहती है। आइये जानते है बदन दर्द के कारण और इसके लक्षण, कैसे करें इसका उपचार।

आइये सबसे पहले आपकों बताते है बदन दर्द के कारण-

अगर आपकों फ्लू हुआ।
थायरॉइड के कारण।
अक्सर ब्‍लड प्रेशर का सामान्‍य न होना।
बॉडी में दर्द के कारण।
विटामिन डी की कमी चलते।
ज्यादा देर बैठकर काम करने से।
गलत तरीके से वजन उठाने पर।
बहुत ज्‍यादा व्‍यायाम करने से।

बदन दर्द के लक्षण-

जोड़ों में दर्द
दर्द के कारण नींद न आना
कमजोरी के कारण बीमार जैसा महसूस करना
गर्दन में दर्द
पीठ में दर्द
मांसपेशियों में दर्द
बहुत थकान
सर में बहुत दर्द

उपचार-

अगर आप बदन दर्द से पीडि़त है तो आप होम्योपैथिक विधि से अपना उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर डॉक्टर की सलाह पर अपना उपचार करें। इससे आपको बुखार से तुंरत छुटकारा मिल जायेगा।

बुखार के साथ कही ये लक्षण तो नहीं?

सर्दियों के मौसम में बुखार के साथ सर्दी, खांसी जुकाम होना आम बात है। बुखार आने ने कई कारण है। बुखार का उपचार और बुखार में सावधानियों के अलावा बच्चों और बड़ों के बुखार में ध्यान रखने वाली जरूरी हैं। बुखार में मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, पीलिया और टायफायड शामिल हैं। इन सभी के लक्षण मिलते-जुलते रहते हैं। मॉनसून के बुखार में एस्प्रिन लेना नुकसानदायक हो सकता है, क्योंकि कई किस्म के बुखार में प्लेटलेट्स की संख्या घटने लगती है। आइये जानते है बुखार के कारण, लक्षण और होम्योपैथिक विधि से उसका उपाय-

सबसे पहले बुखार के कारण-

सर्दी, खांसी और जुकाम
बारिश में भीगते पर
मलेरियाए डेंगू और चिकनगुनिया के मच्छर के काटने से।
दूषित पानी या भोजन का सेवन करने पर

बुखार के लक्षण-

शरीर का तापमान 103 डिग्री सेल्यिस या इससे ज्यादा होना।
लगातार सिरदर्द रहना
ठंड लगना
कंपकंपी आना
हाथ पैरों में दर्द होना
शारीरिक कमजोरी महसूस करना
मांसपेशियों में खिंचाव या ऐठन महसूस करना

उपचार-

अगर आप बुखार से पीडि़त है तो आप होम्योपैथिक विधि से अपना उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर डॉक्टर की सलाह पर अपना उपचार करें। इससे आपको बुखार से तुंरत छुटकारा मिल जायेगा।

साइनस का होम्योपैथिक उपचार

साइनस नाक का एक रोग है। आयुर्वेद में इसे प्रतिश्याय नाम से जाना जाता है। अक्सर सर्दी के मौसम में नाक बंद होना, सिर में दर्द होना, आधे सिर में बहुत तेज दर्द होना, नाक से पानी गिरना इस रोग के लक्षण हैं। साइनस को साइनोसाइटिस भी कहा जाता है, जिसके कारण ना सिर्फ व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी होती है, बल्कि चेहरे की मांसपेशियों में भी दर्द शुरू हो जाता है। अमूमन लोग साइनस की समस्या होने पर दवाइयों का सहारा लेते हैंए लेकिन आप होम्योपैथिक की मदद से भी अपनी इस समस्या से राहत पा सकते हैं।

साइनस के कई कारण हो सकते हैं-

बैक्टीरिया
फंगल
एलर्जी
नाक की हड्डी बढऩा
अस्थमा
वायरल व भोजन।

साइनस के लक्षण-

नाक बंद होना
सिर में दर्द होना
आधे सिर में बहुत तेज दर्द होना
नाक से पानी गिरना

उपचार-

अगर आप साइनस की बीमारी से परेशान है तो बिल्ुक भी न घबराये। आप होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर चिकित्सक की सलाह के बाद होम्योपैथिक दवा का उपयोग कर इससे छ़ुटकारा पा सकते है।

सिर दर्द या चक्कर आना

वर्टिगो शब्द लैटिन भाषा वर्टो से लिया गया है। जिसे पर सिर घूमना भी कहते है। वर्टिगो के कारण असंतुलन और चक्कर आने या सिर के चकराने की अनुभूति हो सकती है। इसके आधारभूत कारण के अनुसार यह कुछ पलों से लेकर कुछ मिनटों या घंटों या फिर दिनों तक भी रह सकता है। यह असंतुलन के दौरान जी मिचलाना, उल्टी आना, अधिक पसीने आना अथवा चलने में अस्थिरता का एहसास हो सकता है। सिर हिलाने पर चक्कर बढ़ सकते हैं। वर्टिगो को कुछ लोग अधिक उंचाई पर जाने का डर समझते हैं, लेकिन इस बीमारी को एक्रोफोबिया कहते हैं। यह वर्टिगो नहीं है। आइये जानते है क्यों घूमता है हमार सिर-

इन कारणों से घूमता है सिर-

संतुलन तंत्रिका
मस्तिष्क के ट्यूमर
सर के घाव के कारण होने वाली कान की चोट
वैस्टिब्यूलर माईग्रेन
लेबीरिन्थाइटिस
मैल डे डीबारकेमैंट सिंड्रोम
वैस्टिब्यूलर पैरॉक्सिस्मिया
सुपीरियर सैमीसर्कुलर कैनाल

इस बीमारी के लक्षण-

सिर का घूमना
एकओर झुकना
सरदर्द होना
अस्थिर या असंतुलित महसूस करना।
गिरने का एहसास होना
चक्कर आना

उपचार-

अगर आप सिर घूमने या चक्कर आने से परेशान है तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है। आप होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर चिकित्सक की सलाह के बाद होम्योपैथिक दवा का उपयोग कर इससे छ़ुटकारा पा सकते है।

क्यों फट जाते है होंठ

होंठ फटने की समस्या मौसम के परिवर्तन के साथ बढ़ती-घटती रहती है लेकिन यह एक ऐसी परेशानी है जो लगभग साल भर रहती है। इसके कई कारण होते हैं लेकिन यह अतिआवश्यक होता है कि हम इनको पहचाने और इनका समाधान ढूँढें। सर्दियां आते ही होंठ फटने लगता है। इसका कारण पानी का कम पीना। सर्दियां आते ही हम पानी की खपत कम कर देते हैं, जिसकी वजह से त्वचा और होंठ फटने लगते है। इन सर्दियों में अपने होंठ को खूबसूरत और नर्म बनाना है तो खूब सारा पानी पीयें और होम्योपैथिक विधि से उपचार करें।

आइये जानते है इसके कारण-

बार-बार होंठों पर जीभ फिराना।
लिपिस्टिक का अधिक उपयोग करना।
गलत लिप बाम का इस्तेमाल करना।
हॉट शावर
सनप्रोटेक्शन का इस्तेंमाल ना करना

उपचार-
आप हल्के गुनगुने पानी से होठों और चेहरे को धो लें। अब चेहरे पर होठों पर अपना रेग्युलर लिप बाम भी लगा सकते है। लेकिन अगर आपकों इसके इस्तेमाल से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है तो आप होम्योपैथिक विधि से इसका उपचार कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिये गये वीडियो को देखकर चिकित्सक की सलाह के बाद होम्योपैथिक दवा का उपयोग कर इससे छ़ुटकारा पा सकते है।