दुनिया के समस्त प्राणियों का शरीर चर्म से ढका होता है. वनस्पति पर गौर करें तो पोंधों वर्क्षो पर भी उपरी आवरण के रूप में चर्म होता है. हर व्यक्ति की पहचान तो वैसे उसके नाम से होती है, पर नाम न पता होने के पर भी कभी कभी उसके शरीरिक बनावट से भी उसकी पहचान हो जाती है. इसी प्रकार वर्क्षो आदि का ज्ञान न होने पर भी उनके चर्म, फुल, पत्ते, तना आदि देखकर पहचान कर ली जाती है. अतः ये कहना गलत नही होगा की शारीरिक बनावट में शरीर का महत्वपूर्ण स्थान है.

शरीर के भीतरी अंग को यह त्वचा बड़ी सुंदरता से ढकी रहती है. इसी के कारण सुंदर व्यक्तित्व का बोध होता है.
चर्म हमारे संपूर्ण शरीर का ब्रह्मचवरण है. इसमें थोड़ी सी भी विकृति हमारे जीवन को कष्टमय बना देती है. साथ ही इससे हमारी सामाजिक प्रतिष्ठा बंधित होती है.
किसी व्यक्ति के चेहरे पर एक मामूली सा दाग उसकी अच्छी सेहत बेशुमार शोहरत तथा अकूत दौलत को भी कलंकित कर सकता है. उसकी प्रतिष्ठा को खत्म कर सकता है. इसके अलावा कोई दाग प्राणघातक और कष्ट ना होने पर भी अंतरमन को पीड़ा पहुंचाने वाला होता है. कई बार तो व्यक्ति सोचता है कि यह कौन से पाप का फल है.
सफेद दाग धब्बे तो व्यक्ति को दिन-रात उठते बैठते, चलते फिरत, चलते फिरते चिंतित किये रहते है.

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होमियोपैथी : रोगों का जड़ से उपचार

होमियोपैथी में चर्मरोग जैसे त्वचा में काले दाग, सफ़ेद दाग, फोड़े फुंसी मुँहासे आदि का कुशल उपचार मौजूद है. कभी कभी एलोपथिक डॉक्टर भी चर्मरोग के लिए होमियोपैथी की दवाओ का इस्तेमाल करते है.

कई बार कुछ चर्मरोगऑपरेशन  के कुछ समय बाद फिर निकल आते है, ऐसे केस में होमियोपैथी की दवाए वरदान की तरह काम करती है, होमियोपैथी रोग के लक्षणों की जड़ो पर मार करती है और चर्मरोग को जड़ से मिटने में सक्षम है.

होम्योपैथिक उपचार में ध्यान देने वाली बात है की अपने लक्षणों को छुपाया न जाये न ही दबाया जाये. क्यूंकि होम्योपैथिक औषधीय लक्षणों पर आधारित है इसलिए  बारीकी से रोगी के  लक्षणों को जान कर ही सटीक दवा का पता लगाया जा सकता है.

त्वचा रोग या चर्मरोग के लिए होमियोपैथी में बहुत अच्छा उपचार मौजूद है.

चर्मरोग पर ये विडियो आपके लिए बहुत ही लाभार्ती है जरुँर देखे :

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