Fistula ,भगंदर का होम्योपैथिक उपचार

भगंदर इसे फिसुला भी कहते हैं। यदि बावसीर बहुत पुराना होने लगे तो यह भगंदर हो जाता है इसलिए बवासीर को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए यदि समय पर इसका उपचार ना कराया जाये तो कई बार यह कैंसर का रूप भी ले सकता है। यह एक प्रकार से नाड़ी में होने वाला रोग है. जो गुदा और मलासय के पास के भाग में होता है। भगन्दर रोग अधिक कष्टकारी होता है। इस रोग में दोनों गुदे के आसपास दाने निकलकर फूट जाते हैं। जिस कारण रोगी को बहुत कष्ट होता है ना रोगी ठीक प्रकार से कोई काम कर पाता ना ही आराम कर पाता है।
लक्षण: गुदा में खुजल, सुई जैसी चुभन, असहाय दर्द, जलन व सूजन,आदि, लक्षण., इसके साथ नाड़ियों में लाल रंग का झाग निकलना इसके लक्षण है। इन्फेक्शन संक्रमण के कारण बुखार होना और ठंड लगना।
कारण: कब्ज रहना, गुदामार्ग के पास फोड़े होना, गुदासय का अस्वच्य रहना, बेक्टारिअल इंफेक्शन के कारण, ज्यादा समय तक किसी सख्त या ठंडी जगह पर बैठना, इसके अलावा यह रोग बूढ़े लोगों में गुदा में रक्त प्रवाह के घटने से होता है।
दवाइयां: Silicea 1m की दो बुँदे 10-10 मिनट के अंतर से ले, 3 बार (महीने में केवल एक बार )
Paeonia Officinalis Q आधे कप पानी में मिलाकर 15 बुँदे सुबह, दोपहर, और शाम को लें
अगर फिसुला में जलन है तो आप Paenia Q की जगह Iris VersiColor Q की आधे कप पानी में 15 बुँदे सुबह/ शाम को ले इनके साथ Cacl Flourica 6x की 4 गोली और इसके साथ मिलाकर Silicea 6x की 4 गोली सुबह, दोपहर, शाम को खाए यदि पस आ रहा है तो आप Gun Powder 3x और 6x की 2 गोली सुबह, शाम लें। आपको आराम मिलेगा।