Whooping cough treatment in homeopathy

कुकुरी या कुक्कुर या काली खांसी अंग्रेजी में व्हूपिंग कफ, एक जीवाणु के संक्रमण द्वारा होता है। वैसे यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है परंतु अधिकतर यहां 2 वर्ष से कम आयु के बच्चों की स्वास प्रणाली को प्रभावित करता है। जब भी इस रोग से पीड़ित रोगी खांसते हैं, तो उस समय भोंकने जैसी आवाज आती है। इसलिए इसका नाम कुकुर खांसी पड़ा। यह परटूसिस नामक जीवाणु के कारण होता है और जब भी किसी संक्रमण व्यक्ति द्वारा खांसा या छींका जाता है तो स्वस्थ व्यक्ति पर इन जीवाणुओं का संक्रमण फैल जाता है।

लक्षण:
साधारणतय शुरुआत सर्दी जुखाम गले में दर्द के साथ होती है, बुखार आना, खांसी के साथ म्यूकस निकलना. अधिकतर रात के समय इसका प्रकोप बढ़ता है, खांसी का दौरा जैसा पड़ना, खासते खासते रोगी को उल्टी तक हो जाना. थकान महसूस होना. सास बंद हो जाना, गले की नसें फूल जाना, आंख से पानी बहना, आदि लक्षण प्रकट हो प्रकट होते हैं।

कारण :
कुकुरी खासी परटूसिस के संक्रमण से होती है, अधिक सर्दी लगने पर, पानी में अधिक भीगने के कारण, कुछ केस में मूंगफली, अखरोट, मेवा घी आदि चिकनाई युक्त खाद्य पदार्थ खाते हैं, जिस कारण खांसी होने का खतरा बढ़ जाता है।

दवाइयां :
कफ होने पर आप सबसे पहले Aconite 30 की दो बूंदें 10-10 मिनट के अंतर से सवेरे और दो बूंदें 10-10 मिनट के अंतर से शाम को लें ( केवल 1 दिन)। इसके दूसरे दिन Drosera 30 की दो बूंदें सुबह दोपहर शाम को दें (केवल 10 दिन) तक । इसके साथ-साथ Justicia Q को पानी में मिलाकर 10-15 बुँदे , 3 बार (सुबह दोपहर शाम) को दें।